
How to Identify Slow Learner Child – स्लो लर्नर बच्चो को कैसे पहचाने
स्लो लर्नर बच्चो को कैसे पहचाने
(How to identify Slow Learner Child )
केस -१
शैलजा क्लास तीन की स्टूडेंट है पिछले कुछ महीने से उसका मन स्कूल की पढ़ाई मे नही लग रहा है स्कूल के टीचर लगातार शिकायते कर रहे है की शैलजा क्लास में बहुत धीरे धीरे लिखती है क्लास वर्क और होम वर्क दोनों ठीक से नहीं कर रही है और क्लास में दूसरे बच्चो से पिछड़ती जा रही है
जब इस तरह की शिकायते आती है तो माता पिता के लिए बहुत अजीब स्तिथि होती है वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे होते है पर बच्चा पढ़ाई में लगातार पीछे होता जा रहा है अगर ये स्तिथि लगातार बनी रहती है तो हो सकता है की आप का बच्चा स्लो लर्नर हो
कैसे पहचाने
- स्लो लर्नर बच्चे क्लास वर्क को बोर्ड से उतारने में परेशनी महसूस करते है और बहुत धीरे धीरे लिखते है
- बच्चे के नंबर क्लास टेस्ट और एग्जाम में ख़राब आते रहते है
- ड्राइंग बनाने और कलर करने में परेशानी होती है और ठीक से नहीं कर पाते है
- दूसरे बच्चो के साथ घुलने मिलने में परेशानी महसूस करते है
- मात्राओं की गलतियां ज्यादा करते है
- किसी विषय को याद तो कर लेते है पर बहुत जल्दी भूल जाते है और उन्ही विषयो को पढ़ते है जो उनको आसान लगे
- अपनी चीजे दूसरे बच्चो के साथ कम शेयर करते है
- खेलने में ज्यादा मन लगाते है और अपने से छोटे उम्र के बच्चो के साथ खेलने में रूचि लेते है
- जब पढ़ाई के लिए कहा जाये तो बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते है कॉपी में लिखावट बहुत ख़राब होती है
क्या करे माता पिता
- बच्चो के स्टडी रूम को बहुत अच्छी तरह से बनाये उनकी पढ़ने की टेबल, चेयर और लाइट बच्चे की पसंद की ही लगाए
- बच्चे को पढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा स्टडी टॉयज का इस्तेमाल करे
- बच्चो को पढ़ाने के लिए नयी नयी तकनीक सीखे और बच्चों को सिखाये
- बच्चो के साथ समय बिताये उनकी मन पसंद चीजो जैसे कार्टून और उनके खेलो में रूचि ले
- कलर और ड्राइंग के सहारे बच्चे को पढ़ाएं
- बच्चे को घर के छोटे छोटे कामो में लगाए जैसे – बच्चे को अपना खाना खुद खाने की लिए कहे , स्कूल ड्रेस को ठीक से रखने की जिम्मेदारी दे
- सामाजिक और कल्चरल प्रोग्राम में बच्चे को शामिल करे , घर के आसपास पडोसी और रिस्तेदारो के पास बच्चे को जरूर ले जाये और वहां पर सब के सामने बच्चे की खूब तारीफ करे.
क्या ना करे
छोटे बच्चो को स्वयं पढ़ाएं और छोटी उम्र में ट्यूशन ना लगाएं ,, बच्चे को दूसरे बच्चो और किसी बाहरी इंसान के सामने ना डटें और ना ही पढ़ाई की तुलना करे,पढ़ाई की कमी के लिए बच्चे पर ज्यादा गुस्सा ना करे और ना ही उसकी कमी के लिए बच्चे को पूरा दोष दे
इन सब प्रयासों के बाद भी अगर बच्चा पढ़ाई में ठीक नहीं होता है तो बच्चे का आई.क्यू (I.Q Test ) टेस्ट कराये और किसी अच्छे चाइल्ड साइकोलोजिस्ट या स्कूल काउंसलर से मिलकर बच्चे की काउन्सलिंग कराएं
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Rajesh Pandey – Psychologist and Career Counselor
Namrata Singh – Child Psychologist
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